सरगुजा के स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार के अवसरों और खनन का विरोध करने वाले छत्तीसगढ़ के प्रदर्शनकारियों में एक्टिविज्म नये स्तर पर जा रहा है । इसके लिए बाकायदा सोशल मीडिया पर पेइड सोशल मीडिया सेना तैयार की गयी है । इस काम के लिए कितनी भारी कीमत चुकाई जा रही है, यह सोशल मीडिया में मामूली सर्च कर कोई भी देख सकता है । फेसबुक, ट्विटर, इन्सटाग्राम, यूट्यूब जैसे तमाम प्लेटफार्म पर इनकी तैनाती की गयी । रातों-रात पनपे इन इन्फ्लूएन्सर्स को विकास विरोधी लौबी द्वारा फंड मिलने से इन्हें इतनी बढ़त हासिल हो रही है, कि मुख्यधारा के विश्वसनीय प्रत्रकार भी इनके आगे बौने व स्तरहीन साबित हो रहे हैं ।
छत्तीसगढ़ में इन तथाकथित एक्टिविस्टों द्वारा सोशल मीडिया का ऐसा सुनियोजित और कमर्शियल इस्तेमाल, अभूतपूर्व है । अब तक यहाँ केवल राजनीतिज्ञ ही सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर अपने मुद्दे उठाते आये थे । लेकिन एक्टिविस्टों द्वारा इसका ऐसा इस्तेमाल, पहली बार देखा जा रहा है । राजनीतिज्ञों द्वारा मिलने वाले विज्ञापनों से अब तक पारंपरिक मीडिया एवं पत्रकारों की आय का ज़रिया सुरक्षित हुआ करता था ।
अब तक मीडिया का धड़ा हर छोटे-बड़े प्रदर्शनकारियों को फ्री-कवरेज देकर एक्टिविस्टों को सरल मंच प्रदान किया करता था । अब इन एक्टिविस्टों द्वारा विदेशी फंडिंग प्राप्त कर अपना स्वार्थी एजेंडा चलाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया जाने लगा है, जिससे पारंपरिक मीडिया और उनका रिवेन्यु स्ट्रीम प्रभावित हो रहे हैं । कोविड काल में सैलरी कट और नौकरी जाने के बावजूद कई पत्रकारों ने भी इन एक्टिविस्टों का खुलकर समर्थन किया । पर वे इसके दूरगामी नुकसान को नहीं भांप सके । लेकिन अब सोशल मीडिया पर बढ़ते पेइड एजेंडा वाले कैम्पेनों को देखकर, हर कोई ठगा महसूस करने लगा है ।
आगे बढ़ने से पहले हम आपको चेता दें, कि नीचे जिन नामों और उनके प्रायोजक्नो का ज़िक्र है, जो आज खुलकर राजस्थान माइनिंग प्रोजेक्ट्स का विरोध कर रहे हैं । वे अपने बचाव में निश्चित आयेंगे । लेकिन छत्तीसगढ़ के सभी मुख्यधारा के प्रतिष्ठित पत्रकारों के संज्ञान में यह बात लाना बेहद ज़रूरी है, कि स्वच्छंद होकर अपना एजेंडा चलाने वाले इन प्रायोजित इन्फ्लूएंसरों के कारण आपका भविष्य एवं सालों में कमाई हुई प्रतिष्ठा दांव पर लगी है ।
यही नही, अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए इन प्रायोजित इन्फ्लुएंसरों की विकास विरोधी गैंग द्वारा अनेक न्यूज़ पोर्टल्स, चैनलों एवं अखबारों पर भी सुनियोजित तरीके उनकी प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाई जा रही है । इन धनाड्य एक्टिविस्टों द्वारा माइनिंग कांट्रैक्टरों के खिलाफ झूठ फैलाना बेहद शर्मनाक है.
अनेक कर्मठ पत्रकार अपनी जान जोखिम में डालकर उन स्थानों तक पहुँच रहे हैं जहां से झूठ की फैक्ट्री संचालित है । जबकि यूट्यूब इन्फ्लूएन्सरों को लग्ज़री कारों में में रायपुर से अम्बिकापुर लाया जा रहा है, महंगे आरामदेह होटलों में ठहराया जा रहा है, महंगे पेय पदार्थों के साथ कड़कनाथ का भोग लगवाया जा रहा है । सोशल मीडिया पर शायद ही किसी बड़े पीएसयू या कॉर्पोरेट ने इतना पैसा व संसाधन खपाया होगा जितना ये इन्फ्लूएन्सर और एक्टिविस्ट पानी की तरह बहा रहे हैं ।
रायपुर प्रेस क्लब को एक विशेष बैठक बुलाकर इन पेशेवर प्रदर्शनकारियों की आलोचना एवं विरोध करनी चाहिए ताकि प्रदेश का मीडिया इनके जाल में ना फंसे एवं ऐसे लोग प्रदेश की मेनस्ट्रीम मीडिया को विस्थापित ना कर सकें । इन पेइड इन्फ्लूएन्सरों का सामना करने के बजाय, अपना काम पूरी निष्ठा से करने वाले पत्रकार सच दिखाने के लिए बस्तर के बीहड़ों में नक्सलियों की गोलियों का सामना करना चाहते हैं । पर बुनियादी सवाल वही है, कि कौन इन एक्टिविस्टों को फंड उपलब्ध करवा रहा है ? सरगुजा में हज़ारों नौकरियां बर्बाद करने और हमारे प्रोफेशन को बदनाम कर के किसे ख़ुशी मिलेगी?
एक अनुमान के अनुसार ऐसे बड़े स्तर पर कैम्पेन चलाने के लिए छोटे-बड़े इन्फ्लूएन्सरों को लगाने के लिए करीब 5-7 लाख रुपये रोजाना बहाए जा रहे हैं ताकि रोज़गार और विकास के खिलाफ इनका एजेंडा फले-फूले और लोगों के मन में नफरत बढे ।
सोशल मीडिया पर इतनी ज्यादा धन और संसाधन लगाए जाने के कारण इन इन्फ्लूएंसरों की आवाज़ और बुलंद होते जा रही है । इससे वे अब पहले से कहीं ज्यादा कमाई कर रहे हैं । दूसरी ओर वित्तीय कठिनाइयों से जूझते मीडिया घराने और कम आय पाने वाले पत्रकार लगातार हाशिये पर जाते जा रहे हैं । इसलिए इन धनाड्य एक्टिविस्टों, इन्फ्लूएन्सरों को और उनके स्वार्थी मंसूबों को निःशुल्क प्रमोशन दे रहे हैं । ऐसा माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में राजस्थान को प्रदान की गयी 3 कोल माइनों में खनन विरोध में सोशल मीडिया में चलाये जा रहे कैम्पेन को देश के अन्दर और विदेशों से विकास विरोधी ताकतों का समर्थन प्राप्त है ।
इस एक ट्वीट को देखकर आप सब कुछ आसानी से समझ जायेंगे । @Citizen_shweta के ट्विटर पर महज़ 300 फॉलोवर ही हैं । लेकिन सोशल मीडिया पर उन्हें और उनके जैसे अनेक एक्टिविस्टों और इन्फ्लूएन्सरों को मिलने वाली भारी भरकम रकम के बल पर इनकी ट्वीट्स पर सैकड़ों लाईक्स और री-ट्वीट आसानी से आ रहे हैं । इनकी प्रोफाइल से जुड़ाव रखने वाली ज्यादातर आईडी संदिग्ध दिखाई पड़ती हैं । इनकी प्रोफाइल पर मिली जानकारी के अनुसार ये दिल्ली में रहती हैं, जो देश में सर्वाधिक बिजली खपत करने वाले राज्यों में से एक है, वो भी देश में सबसे सस्ती बिजली दरों पर । हमें पूर्ण विश्वास है, कि ये गूगल मैप पर भी hasdeo को चिन्हांकित नहीं कर सकेंगी लेकिन सोशल मीडिया पर सक्रियता से यहाँ के स्थानीय लोगों और मीडिया वालों को भड़का कर उन्ही का भविष्य उजाड़ने के लिए समर्थन जुटा रही हैं ।
इनकी प्रोफाइल को और खंगालने पर पता लगता है, कि @Citizen_Shweta को कभी भी ऊर्जा सेक्टर, क्लाइमेट चेंज, अर्थव्यवस्था, रोज़गार सृजन और ऊर्जा निर्माण में कभी रुचि नहीं थी । वे बस इन एक्टिविस्टों के कहने पर इस विषय में सक्रिय हुई हैं, और अब दिल्ली में रहने वाली यह इन्फ्लूएन्सर, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विद्युत् उत्पादन के विषयों पर ज्ञान बघार रहीं हैं । रातों-रात इनके ट्वीट्स को पैसों के बल पर सुनियोजित तरीके से फैलाया जा रहा है ।
ज़ाहिर है इन्हें घर बैठे-बैठे प्रतिष्ठा और अर्थलाभ दोनों मिल रहा है । जबकि मुख्यधारा के पत्रकार पूरी मेहनत करने के बावजूद अपनी विश्वसनीयता, अपने पाठकों-दर्शकों और अपने आय के स्त्रोतों को खोते जा रहे हैं । @Citizen_shweta अकेली ऐसी इन्फ्लूएन्सर नहीं हैं. ऐसे अनेक प्रायोजित इन्फ्लूएन्सर सक्रीय हैं । जैसे @SandeepPatel04, @SaajanThakur, @RajuKharadi12 और @IndiaAboriginal । जिन्हें ना केवल इनकी ट्वीट/पोस्ट के लिए पैसे मिलते हैं बल्कि इनके कंटेंटो को भारी भरकम रकम के ज़रिये फैलाया जाता है ।
दुर्भाग्य से मुख्यधारा की मीडिया और पत्रकारों की तकलीफ इस महामारी और इन्फ्लेशन के चलते और बढ़ते जा रही है । राजस्थान सरकार एवं बड़े प्राइवेट उद्योगों जैसे भरोसेमंद निवेशकों से आने वाले विज्ञापनों के निरंतर प्रवाह के बिना उनका पुनः सक्रिय हो पाना मुश्किल है ।
ऊपर से विदेशी फंड्स पाकर सक्रिय हुए एक्टिविस्टों के कारण क्षेत्र में नये और बड़े इन्वेस्टमेंट आने में बाधा उत्पन्न की जा रही है ।
इस स्थिति में पहले से ही पेइड इन्फ़्लूएन्सरों के कारण लगातार अपने आय के स्त्रोतों और दर्शकों/पाठकों को खोते जा रही पारंपरिक मीडिया एवं उनसे जुड़े लोग को चौतरफा मार झेलनी पड़ रही है ।
छत्तीसगढ़ के लोग विश्वसनीय संस्थाओं से आने वाली सच्ची सूचनाओं से वंचित हो रहे हैं, सरगुजा के लोग बेहतर ज़िन्दगी एवं नये रोज़गार के स्त्रोत खो रहे हैं जबकि पेशेवर और प्रभावशाली इन्फ्लूएन्सर, मीडिया को हाशिये में धकेलकर, अपनी कमाई करते जा रहे हैं ।
अब समय आ गया है कि मीडिया जगत से जुड़े सभी कर्मठ और सच्चे साथी इन प्रायोजित इन्फ्लूएन्सरों से लोहा लें, सच के पक्ष में एकजुट होकर आवाज़ उठाएं, अपनी धूमिल होती प्रतिष्ठा, विश्वसनीयता को पुनः हासिल करें एवं अपने दर्शकों/पाठकों का विशवास जीतें ।
जय छत्तीसगढ़. जय जोहार