Wednesday, October 9, 2024
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भारत बढ़ती मांग के साथ इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में क्रांति लाने के लिए तैयार।

वोल्वो भारत में ईवी की बढ़ती मांग के कारण भारत को इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) निर्माण के लिए अपना नया हब बनाने पर विचार कर रही है। यह स्वीडिश मल्टीनेशनल ऑटोमोबाइल निर्माता भारत में अपनी नई ईवी सुविधा स्थापित करने की योजना बना रहा है, जो 2025 तक क्लाइमेट न्यूट्रल निर्माण कार्यों के लक्ष्य को एक साथ लाता है।

भारत दुनिया के ऑटोमोबाइल उद्योग में अग्रणी हो कर खड़ा है, जिसके पास जर्मनी और जापान को पीछे छोड़ते हुए तीसरी सबसे बड़ी बाजार हिस्सेदारी है। ऑटोमोटिव क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो इसके सकल घरेलू उत्पाद का 7.1% है और पर्याप्त रोजगार प्रदान करता है।

2023 का आर्थिक सर्वे 2022 और 2030 के बीच घरेलू ई.वी. बाजार में 49% सालाना बढ़ोतरी की भविष्यवाणी करता है, जिससे 2030 तक 10 मिलियन की सालाना बिक्री हो जाएगी। यह वृद्धि नौकरी के बाजार में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी, जिससे 2030 तक ई.वी. उद्योग में 37 मिलियन नौकरी के अवसर पैदा होंगे ।

इसके अलावा, भारत के खनन मंत्रालय ने बताया कि भारतीय जियोलाजिकल सर्वे ने जम्मू और कश्मीर के रियासी जिले के सलाल-हैमाना क्षेत्र में 5.9 मिलियन टन लिथियम भण्डार की खोज की। लिथियम के भंडार दुनिया भर में दुर्लभ हैं, और भारत के पास अब लगभग 5.5 % लिथियम भण्डार हैं। यह देश में इन भंडारों की पहली खोज है और बाहरी देशों से आयात की गयी ई.वी. बैटरीयों पर भारत की निर्भरता को काफी कम कर सकती है। ई.वी. बैटरी के लिए लिथियम का भारी मात्रा में उपयोग किया जाता है, क्योंकि इसका प्रति किलोग्राम, ऊर्जा भंडारण बहुत अच्छा है। इस वजह से यह इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं के लिए एक आदर्श विकल्प बन जाता है। यह खोज भारत में ई.वी. बाजार को और बढ़ावा दे सकती है, क्योंकि जरूरतों को पूरा करने के लिए इसे अब आयात पर बहुत जादा निर्भर रहने की ज़रूरत नहीं है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत में ग्रीन फ्यूचर की ओर नेतृत्व करने की क्षमता है।

इसके अलावा, हालिया वर्षों में, भारत में ईवी की मांग काफी बढ़ी है, । भारत की राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन योजना (एनईएमएमपी) का लक्ष्य 2030 तक देश में कम से कम 30% वाहनों को इ.वी. में तब्दील करना है। भारत सरकार ने भी ई.वी. खरीदने के लिए कई प्रोत्साहन योजनाओं और सब्सिडी की शुरुआत की है, जिससे इस क्षेत्र के विकास को और भी बढ़ावा मिला है।

भारत में हाल ही में हुआ ‘ऑटो एक्सपो 2023’ ई.वी. को अपनाने के लिए देश के प्रयासों का एक सबूत था। इस कार्यक्रम में कई ऑटोमोबाइल निर्माताओं के साथ-साथ नए इलेक्ट्रिक वाहनों की एक श्रृंखला दिखाई गई, जो ई.वी. सेगमेंट में अपनी सबसे नई पेशकशों को प्रदर्शित कर रहे थे, और भारत के ऑटोमोटिव उद्योग में एक नए युग की शुरुआत का संकेत दे रहे थे। ऑटो एक्सपो भारत में ई.वी. के बढ़ते महत्व का एक साफ़ संकेत था क्योंकि इसने दुनिया को भारत के हरित भविष्य की एक छोटी सी झलक दिखाई दी। इस दौर में जब देश ई.वी. को अपनाने और अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए जुटा हुआ है, सस्टेनेबल वाहनों के प्रति देश की उन्नति बहुत करीब लगती है।

हालाँकि, इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर बदलाव के लिए केवल इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि उनके पुर्जों की भी आवश्यकता है:

  • ई.वी. के पुर्ज़ों को 5-6 समूहों में बाँटा जा सकता है, जिसमें बैटरी सेल, मोटर और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स ई.वी. वाहन की कुल लागत का आधे से भी अधिक के लिए योगदान देते हैं।
  • इन प्रमुख पुर्ज़ों के अलावा, इलेक्ट्रिक वाहनों को विशेष पुर्ज़ों जैसे कि बस-बार, हीट सिंक और इंसुलेटेड-गेट बाइपोलर ट्रांजिस्टर की ज़रूरत भी होती है।
  • ई.वी. उत्पादन से सम्बंधित चुनौतियों में खराब आर. एंड डी. और टेक्नोलॉजी हस्तक्षेप, मोटरों के लिए दुर्लभ मैगनेट और इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं।

अब यह एक मुश्किल पैदा करता है, क्योंकि इलेक्ट्रिक कार उत्पादन पहले से चले आ रहे ऑटोमोटिव उत्पादन की तरह पूर्णतः विकसित नहीं है। भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग और आपूर्ति के असंतुलन के साथ-साथ, ई.वी. उत्पादन की विश्वसनीयता चिंता का विषय बनती जा रही है।

शायद, एक बेहतर और मजबूत आपूर्ति श्रृंखला में और अधिक निवेश जोखिमों को कम करने में मदद कर सकता है। बैटरी रिसर्च और उसके विकास में बढ़ता हुआ निवेश भारतीय ई.वी. उत्पादन में फायदेमंद साबित हो सकता है। आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया जैसी पहल, देश में सार्थक उत्पादन के साथ ही स्थानीयकरण को बढ़ावा देने में कारगर साबित होंगी।

इस उत्साहवर्धक योजनाओं के चलते, ‘अमारा राजा बैटरी’  जैसे प्रमुख बैटरी उत्पादकों ने अपने निवेश को ग्रीन टेक्नोलॉजी की ओर बढ़ाया है, जिसमें लिथियम बैटरी भी शामिल हैं। अप्रैल 2022 में, ‘प्रवैग’ नाम के एक बेंगलुरु स्थित बैटरी स्टार्ट-अप ने 54 MWh की क्षमता वाली दुनिया की सबसे अधिक ऊर्जा पैदा करने वाली बैटरी विकसित की। इस बैटरी को ऊर्जा भंडारण में उपयोग के लिए यूरोप की नवीकरणीय ऊर्जा कंपनी ‘ईरेन ग्रुप’ द्वारा खरीदा गया। यह सोडियम-आयन या एल्यूमीनियम वायु जैसी बैटरियों की तुलना में एक सस्ता और बेहतर विकल्प है। एरेन ग्रुप के इस कदम से न केवल घरेलू निर्माण को बढ़ावा मिलेगा बल्कि ई.वी. आम जनता के लिए और किफायती बनाने में भी मदद होगी।

‘वोल्वो’ द्वारा भारत में अपनी नई ई.वी. निर्माण सुविधा शुरू करने से, देश में ई.वी. उद्योग को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। सस्टेनेबल परिवहन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता, ईवी उत्पादन में विकास के साथ-साथ देश को ई.वी. बाजार में एक अग्रिम पंक्ति में स्थापित करने की काबिलियतरखता है।

Read the article in English: India Poised to Revolutionize Electric Vehicle Market with Growing Demand

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